Umesh Deshpande

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कुछ तबीअत ही मिली थी ऐसी, चैन से जीने की सूरत न हुई जिसको चाहा उसे अपना न सके, जो मिली उससे मुहब्बत न हुई।
आज के प्रसिद्ध शायर - निदा फाजली
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