Shubham Thakur

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लोग कहते हैं कि आखिर स्थायी मूल्य और शाश्वत परम्परा भी तो कोई चीज़ है। सही है, पर मूर्खता के सिवाय कोई भी मान्यता शाश्वत नहीं है। मूर्खता अमर है। वह बार-बार मरकर फिर जीवित हो जाती है।
अपनी अपनी बीमारी
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