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Kindle Notes & Highlights
पवित्रता का मुंह दूसरों की अपवित्रता के गंदे पानी से धुलने पर ही उजला होता है।
झूठे विश्वास का भी बड़ा बल होता है। उसके टूटने का भी सुख नहीं, दुख होता है।
इन लड़के-लड़कियों से क्या कहा जाए! यही न कि प्रेम की जाति होती है। एक हिन्दू प्रेम है, एक मुसलमान प्रेम, एक ब्राह्मण प्रेम, एक ठाकुर प्रेम, एक अग्रवाल प्रेम। एक कोई जावेद आलम किसी जयन्ती गुहा से शादी कर लेता है, तो सारे देश में लोग हल्ला कर देते हैं और दंगा भी करवा सकते हैं।
संविधान की पोथी पर हल्दी-अक्षत चढ़ाकर उसकी पूजा करता है। मैंने पूछा–इसकी पूजा क्यों करते हो? वह जवाब देता है–क्योंकि यह 20-22 साल पहले लिखा गया था। मैं पूछता हूं–इसे किसने लिखा? क्यों लिखा? किन परिस्थितियों में लिखा? लिखनेवालों के विचार-मान्यताएं क्या थे? उनकी क्या कल्पना थी? किन ज़रूरतों से वे प्रेरित थे? देशवासियों के भविष्य के बारे में उनकी क्या योजना थी?–क्या वे सवाल इस पोथी के बारे में पूछना जायज़ नहीं है।