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Kindle Notes & Highlights
अगर कोई आदमी डूब रहा हो तो, उसे बचाएंगे नहीं, बल्कि सापेक्षिक घनत्व के बारे में सोचेंगे।
कोई भूखा मर रहा हो, तो बुद्धिवादी उसे रोटी नहीं देगा। वह विभिन्न देशों के अन्न-उत्पादन के आंकड़े बताने लगेगा।
बीमार आदमी को देखकर वह दवा का इंतज़ाम नहीं करेगा। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट उसे पढ़कर सुनाएगा। कोई उसे अभी आकर खबर दे कि तुम्हारे पिताजी की मृत्यु हो गई, तो बुद्धिवादी दुखी ...
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सिर्फ मैं समझता हूं, यह अहसास आदमी को नासमझ बना देता है।
अगर किसी ने 50-60 साल के अनुभव से सिर्फ यह सीखा कि सबसे दबना चाहिए तो अनुभव के इस निष्कर्ष की कीमत में शक हो सकता है।
केंचुए ने अपने लाखों सालों के अनुभव से कुल यह सीखा है कि रीढ़ की हड्डी नहीं होनी चाहिए।
जो नहीं है, उसे खोज लेना शोधकर्ता का काम है। काम जिस तरह होना चाहिए, उस तरह न होने देना विशेषज्ञ का काम है। जिस बीमारी से आदमी मर रहा है, उससे उसे न मरने देकर दूसरी बीमारी से मार डालना डॉक्टर का काम है। अगर जनता सही रास्ते पर जा रही है, तो उसे गलत रास्ते पर ले जाना नेता का काम है। ऐसा पढ़ाना कि छात्र बाज़ार में सबसे अच्छे नोट्स की खोज में समर्थ हो जाए, प्रोफेसर का काम है।
इतनी उम्र हो गई पर किसी का पैसा वापस करने का गंदा विचार मेरे मन में कभी नहीं आया।
उनकी यह शोध है कि महाभारत युद्ध न होता, अगर भीष्म की शादी हो गई होती और अगर कृष्णमेनन की शादी हो गई होती, तो चीन हमला न करता। सारे युद्ध प्रौढ़ कुंवारों के अहं की तुष्टि के लिए होते हैं। 1948 में तेलांगना में किसानों का सशस्त्र विद्रोह देश के वरिष्ठ कुंवारे विनोबा भावे के अहं की तुष्टि के लिए हुआ था। उनका अहं भूदान के रूप में तुष्ट हुआ।
इस कौम की आधी ताकत लड़कियों की शादी करने में जा रही है। पाव ताकत छिपाने में जा रही है–शराब पीकर छिपाने में, प्रेम करके छिपाने में, घूस लेकर छिपाने में–बची हुई पाव ताकत से देश का निर्माण हो रहा है–तो जितना हो रहा है, बहुत हो रहा है। आखिर एक चौथाई ताकत से कितना होगा?
झूठ अगर जम जाए तो सत्य से ज़्यादा अभय देता है।