कह रहे थे कि आखिर हम बुजुर्गों के जीवन-भर के अनुभव का भी तो कोई महत्त्व है। मैंने कहा–अनुभव का महत्त्व है। पर अनुभव से ज़्यादा इसका महत्त्व है कि किसी ने अनुभव से क्या सीखा। अगर किसी ने 50-60 साल के अनुभव से सिर्फ यह सीखा कि सबसे दबना चाहिए तो अनुभव के इस निष्कर्ष की कीमत में शक हो सकता है। किसी दूसरे ने इतने ही सालों के अनुभव से शायद यह सीखा हो कि किसी से नहीं डरना चाहिए। आप तो 50-60 साल की बात करते हैं। केंचुए ने अपने लाखों सालों के अनुभव से कुल यह सीखा है कि रीढ़ की हड्डी नहीं होनी चाहिए।