मातादीनजी ने इन्वेस्टिगेशन का सिद्धांत समझाया–देखो, आदमी मारा गया है, तो यह पक्का हैं कि किसी ने उसे ज़रूर मारा। कोई कातिल है। किसी को सजा होनी है। सवाल है–किसको सजा होनी है? पुलिस के लिए यह सवाल इतना महत्त्व नहीं रखता जितना यह सवाल, कि जुर्म किस पर साबित हो सकता है या किस पर साबित होना चाहिए। कत्ल हुआ है। तो किसी मनुष्य को सज़ा होगी ही। मारने वाले को होती है, या बेकसूर को–यह अपने सोचने की बात नहीं है। मनुष्य-मनुष्य सब बराबर हैं। सब में उसी परमात्मा का अंश है। हम भेदभाव नहीं करते। यह पुलिस का मानवतावाद है।