Aishwarya Kala

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अकेला ही नहीं हूं। पूरे समाज बीमारी को स्वास्थ्य मान लेते हैं। जाति-भेद एक बीमारी ही है। मगर हमारे यहां कितने लोग हैं जो इसे समाज के स्वास्थ्य की निशानी समझते हैं? गोरों का
अपनी अपनी बीमारी
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