कंकड़ नहीं हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि अभी पुत्र कहें और अगर वैसा निकले तो रत्न कहने लगें? वैसे भी बिगड़े लड़कों को ‘रतन’ कहते ही हैं। अच्छा ‘सुपुत्र’ क्या होता है? और ‘धर्मपत्नी’ क्या चीज़ है। धर्मपत्नी होती है, तो अधर्मपत्नी क्या नहीं होती कोई? क्या धर्मादा में किसी पत्नी को ‘धर्मपत्नी’ कहते हैं? विकट कर्कशाएं तक ‘धर्मपत्नी’ कहलाती हैं। इधर एक कर्कशा है, जो पति को पीट तक देती है, पर पति जब उसका परिचय देते हैं, तब कहते हैं–यह मेरी धर्मपत्नी है। और धर्मपत्नी भी अपने को पतिव्रता समझती है–पति को चाहे पीट लूं, पर पराये आदमी से नज़र नहीं मिलाती।