‘‘ईश्वर प्रेम है : सृष्टि के लिये उनकी योजना केवल प्रेम में ही निहित हो सकती है। क्या यह सरल विचार मानव हृदय को विद्धतापूर्ण तर्कों की अपेक्षा अधिक सान्त्वना नहीं देता है? प्रत्येक वह सन्त जो सत्य के अर्थ तक पहुँच गया है, ने साक्षी दी कि दिव्य योजना का अस्तित्व है और सुन्दर तथा आनन्दपूर्ण है।’’