Kindle Notes & Highlights
आनंद के आँसू कोई भी रोक नहीं मानते।
आल इंडिया रेडियो का ‘सिगनेचर टूयून’ शुरू हुआ। हठात्, मन में एक ख्याल आया–आकाशवाणी के ‘सिगनेचर टूयून’ को बदलने के लिए अब तक कोई ‘हंगामा’ क्यों नहीं हुआ? यह तो ‘अज़ान’ का सुर है।…वायलिन पर चढ़ती-उतरती नमाज़ की पुकार!
हास्यरस के उन बनारसी कवि जी का नाम भूल रहा हूँ, जिनकी एक कविता पंक्ति है: ज़िन्दगी एक सेन्टेन्स है… फुल स्टॉप?