Shekhar Rathore

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सच पूछो तो अब तो मैं किसी परिचित से मिलने से भी घबराता हूँ। आँख चुराकर निकल जाना चाहता हूँ। लगता है मिलूँगा तो एक और फर्ज का बोझ सिर पर चढ़ा जाएगा और मन को कचोटने लगा।
मेरी प्रिय कहानियाँ
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