Pratibha Pandey

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मैंने जहाँ-तहाँ कई महिला लेखकों को पढ़ा है। उनकी लेखनी में ग़ुस्सा है। होना भी चाहिए। उन पर मेरा आक्षेप नहीं, पर कई बार वह ग़ुस्सा बेमानी या उद्दंड बन जाता है और मुद्दा पीछे छोड़ विरोधियों को उन्हें ग़लत साबित करने की अच्छी-ख़ासी जगह दे देता है।
Azadi Mera Brand (Hindi)
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