एक अकेली बेकाम, बेफ़िक्र, बेटैम फिरती लड़की में एक अलग-सी ताक़त होती है। एक अलग-सा साहस होता है। वह साहस जो किसी (बाप, भाई, पति) का हाथ पकड़ कर निकलने में कहीं छुप जाता है। वह साहस जिससे हमारा समाज घबराता है। वह साहस जिसे कभी बाहर निकलने का मौक़ा ही नहीं दिया गया। वही साहस ढूँढ़ने तुम निकलोगी। तुम फिरोगी उस साहस को जीने। वो तुम्हारा ही है। जब निकलोगी, तब पाओगी।