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Kindle Notes & Highlights
यह एक हादसा था और हादसा न हो तो जिन्दगी क्या?
आज जब मृत्यु बिल्ली की तरह दबे पाँव कमरे में आ रही है तो बाहर जिन्दगी बुलाती हुई सुनाई पड़ रही है?
जीवन के अनुभव से जीवन बड़ा है । जब जीवन ही नहीं, तो अनुभव किसके लिए ।
“सुनो, प्यार एक खोज है सल्लो । जीवन-भर की खोज । कभी खतम, । कभी खतम, कभी शुरू । खोज किसी और की नहीं, खुद की! हम स्वयं को दूसरे मैं ढूँढ़ते हैं,
सच कहो तो प्यार की खूबसूरती हर बार उसके अधूरेपन मैं ही है! उसकी यानी प्यार की उम्र जितनी ही छोटी हो उतनी ही चमक और कौंध! अगर लम्बी हुई तो सड़ाँध आने लगती है! यह जरूर है कि इसे छोटी या लम्बी करना हमारे वश मैं नहीं होता ।”
वे रहे तो गाँव में ही, लेकिन गाँव के नहीं रहे ।
कितने दिन हो गए बारिश में भींगे? कितने दिन हो गए लू के थपेड़े खाए? कितने दिन हो गए जेठ के घाम में झुलसे? कितने दिन हो गए अंजोरिया रात में मटरगश्ती किए ? कितने दिन हो गए ठंड में ठिठुर कर दाँत किटकिटाए? क्या ये इसीलिए होते हैं कि हम इनसे बच के रहें? बच बचा के चलें? या इसलिए कि इन्हें भोगें, इन्हें जिएँ, इनसे दोस्ती करें, बतियाएँ, सिर माथे पर बिठाएँ? हम इनसे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे ये हमारे शत्रु हैं! क्यों कर रहे हैं ऐसा ?