Prateek Singh

6%
Flag icon
‘अभिज्ञान शाकुन्तल’ में नाटकीयता के साथ-साथ काव्य का अंश भी यथेष्ट मात्रा में है। इसमें शृंगार मुख्य रस है; और उसके संयोग तथा वियोग दोनों ही पक्षों का परिपाक सुन्दर रूप में हुआ है।
Abhigyan Shakuntal
Rate this book
Clear rating