Prateek Singh

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सिरस के फूल बड़े सुकुमार! चाँदनी की किरणों से तन्तु, भरी है जिनमें सुरभि अपार! भ्रमर आते करने रसपान, जताते ज़रा चूमकर प्यार! उन्हीं से ललनाएँ अत्यन्त सदय अपना करतीं शृंगार!
Abhigyan Shakuntal
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