ठीक है, तब तो इसमें क्या आश्चर्य की बात है कि अकेले ही आसमुद्र पृथ्वी का उपभोग करते हैं। इनकी भुजाएँ दुर्ग के द्वार की अर्गला के समान बलिष्ठ हैं। दैत्यों के साथ युद्ध होने पर सुरांगनाएँ विजय के लिए इनके डोरी चढ़े धनुष तथा इन्द्र के वज्र का ही तो भरोसा रखती हैं।