अहा, इन महाराज का रूप तेजस्वी होने पर भी कैसा विश्वासोत्पादक है! या ऋषियों के समान ही जीवन बिताने वाले इन महाराज के लिए यह ठीक ही है; क्योंकि ये भी मुनियों की भाँति सर्वहितकारी आश्रम में निवास कर रहे हैं। ये भी लोगों की रक्षा करके प्रतिदिन तप-संचय करते हैं और इन जितेन्द्रिय महाराज के चारणों द्वारा गाए गए यशगीत स्वर्ग तक सुनाई पड़ते हैं। हैं तो ये भी ऋषि ही; अन्तर केवल इतना है कि ये राजर्षि हैं।