जनश्रुतियों से जिस प्रकार यह मालूम होता है कि कोई कालिदास विक्रमादित्य की सभा में थे, उसी प्रकार ‘भोज प्रबन्ध’ में भोज की सभा में भी एक कालिदास का उल्लेख है। कुछ विद्वानों ने तीन कालिदास माने हैं। रखर ने भी लिखा है कि ‘ललित शृंगार की रचनाओं में एक ही कालिदास को कोई नहीं जीत सकता, फिर तीन कालिदासों का तो कहना ही क्या!1