Prateek Singh

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कालिदास ने शरीर-सौन्दर्य को मानसिक सौन्दर्य के साथ मिलाकर अद्‌भुत लावण्य-सृष्टि की है। उनकी शकुन्तला तपोवन में रही है, इसलिए नगरों में होने वाले छल-प्रपंचों से वह अपरिचित है। स्नेह उसके मन में लबालब भरा है।
Abhigyan Shakuntal
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