Prateek Singh

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मेरे मन में तो रह-रहकर यह बात आती है कि वह ऐसा फूल है, जिसे किसी ने अभी तक सूँघा नहीं है। ऐसा नवपल्लव है, जिसे किसी ने नाखून से कुतरा नहीं है। ऐसा नया रत्न है, जिसमें अभी छेद भी नहीं किया गया है। ऐसा नया मधु है, जिसका किसी ने स्वाद तक नहीं चखा है। वह निर्मल सौन्दर्य व अखण्ड पुण्यों के फल के समान है। न जाने विधाता उसके उपभोग के लिए किस भाग्यशाली को ला खड़ा करेंगे।
Abhigyan Shakuntal
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