विक्रमादित्य उज्जयिनी के नरेश कहे जाते हैं। यद्यपि कालिदास की ही भाँति विद्वानों में महाराज विक्रमादित्य के विषय में भी उतना ही गहरा मतभेद है; किन्तु इस सम्बन्ध में अविच्छिन्न रूप से चली आ रही विक्रम संवत् की अखिल भारतीय परम्परा हमारा कुछ मार्गदर्शन कर सकती है। पक्के ऐतिहासिक विवादग्रस्त प्रमाणों की ओर न जाकर इन जनश्रुतियों के आधार पर यह माना जा सकता है कि कालिदास अब से लगभग 2,000 वर्ष पूर्व उज्जयिनी के महाराज विक्रमादित्य की राजसभा के नवरत्नों में से एक थे।