कालिदास के वर्णन भौगोलिक दृष्टि से सत्य और स्वाभाविक होते हैं। जिस स्थान और जिस काल का यह वर्णन करते हैं, उसमें सत्यता और औचित्य रहता है। उन्होंने पूर्वी समुद्र के तटवर्ती प्रदेशों में ताड़ के वनों, महेन्द्र पर्वत पर नागवल्ली के पत्तों और नारियल के आसव व केरल में मुरला नदी के निकट केतकी के फूलों का उल्लेख किया है।