Prateek Singh

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मूर्ख, इनसे हमें दूसरा ही कर प्राप्त होता है, जिसकी तुलना में बहुमूल्य रत्नों का ढेर भी त्याज्य है। देखो, चारों वर्णों से राजा को जो कर प्राप्त होता है, वह नाशवान है; परन्तु ये तपस्वी लोग हमें अपने अक्षय तप का षष्ठांश प्रदान करते हैं।
Abhigyan Shakuntal
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