मेरा जवाब सुन लो: ‘अपनी सोने की पचास मोहरें अपने ही पास रखो। जो तुमने अपनी मेहनत से कमाया है और जो तुम्हें पुरस्कार में मिला है, वह तुम्हारा है और कोई व्यक्ति इस पर तब तक हक़ नहीं जमा सकता, जब तक कि तुम ऐसा न चाहो। अगर तुम इसे उधार देते हो, ताकि यह तुम्हारे लिए सूद कमा सके, तो इस काम में सतर्क रहना और कई जगहों पर इसका निवेश करना। मुझे पर्स में पड़ा रहने वाला आलसी सोना पसंद नहीं है। बहरहाल, मुझे जोख़िम तो उससे भी ज़्यादा नापसंद है।”

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