More on this book
Community
Kindle Notes & Highlights
हमारे पहले कदम से लेकर आखिरी कदम तक तय की गई दूरी की लंबाई जिंदगी के बराबर होती है। इसीलिए शायद जिंदगी हमें भटकाती है ताकि हम अपने हिस्से भर की जिंदगी चल पाएँ।
“अबे नहीं यार, यही तो खास बात है भगवान की। मरता नहीं न। इसीलिए सब भगवान की झूठी कसम तुरंत खा लेते हैं। तुझे भी कभी झूठी कसम खानी पड़े तो भगवान की खा लेना।”
क्लास के अच्छे लड़के वैसे भी लड़ाई-झगड़े में पड़ते नहीं। उनके लिए अच्छाई का एक ही मतलब होता है exam में अच्छे नंबर। उनके लिए कोई भी ऐसी चीज जिससे नंबर अच्छे नहीं होते, वो चीजें गंदी होती हैं।
वजह बदल जाए तो शहर भी बदला हुआ ही लगता है।
जब भी ये choice हो कि दोस्ती और प्यार में से एक चीज बचानी हो तो लड़के अक्सर दोस्ती को बचा लेते हैं।
जिंदगी में कई बार ज्यादा लोग मिलकर भी minority ही बनाते हैं। जितने ज्यादा लोग उतनी ही बड़ी minority।
रोज सुबह उठते ही हमें लगता है कि सुबह कितनी जल्दी हो गई। अगर रात सोकर न काटी जाए तब समझ में आता है कि रोज सुबह कितनी मुश्किल से होती
पता नहीं अगर कभी कोई हिसाब लगाता कि समाज ने कितने घरों को जोड़ा और कितनों को तोड़ा है तो शायद ही समाज दुनिया की किसी भी कॉलोनी में मुँह दिखाने लायक बचता। कॉलोनियाँ इतनी बड़ी होकर भी किसी यश्वी, किसी कावेरी को इतनी जगह नहीं दे पातीं, जहाँ वो बिना किसी सवाल के साथ रह पाएँ।
वैसे भी सही-गलत, सच और झूठ के पचड़े में पड़ने के बजाय जिंदगी को जीना जरूरी है। वो लोग अक्सर जी नहीं पाते जो सही-गलत के चक्कर में पड़े रहते हैं। कई सच जिनके साथ जिंदगी शुरू होती है वो कहीं आधे रास्ते में ही झूठ हो जाते हैं।
एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं।
रिमोट का सबसे बड़ा फायदा ही यही है कि जब भी जिस सच्चाई से मुँह मोड़ना हो, बस बटन दबा दो। सच्चाइयाँ अक्सर बहुत बोरिंग होती हैं। इसीलिए न्यूज चैनल वालों को सच्चाई दिखाने के लिए खबर को सनसनीखेज बनाना पड़ता है।