मानसिक रूप से नए घर में रहें, जब तक कि यह आपके चारों ओर भौतिक आकार ग्रहण न कर ले। अपनी मनचाही चिज़ोंं को इस तरह देखें, जैसे वे हर समय सचमुच आपके पास हों। स्वयं को उनका मालिक बनते और उन्हें इस्तेमाल करते देखें। अपनी कल्पना में उनका उपयोग उसी तरह करें, जिस तरह तब करते, जब वे साकार रूप में आपके पास होतीं।

