प्रज्ञा की सतत वृद्धि के लिए यह आवश्यक है; चेतना का दायरा लगातार फैलता है। हम जो भी विचार सोचते हैं, वह हमें कोई दूसरा विचार सोचने के लिए प्रेरित करता है। ज्ञान लगातार बढ़ता है। हमारा सीखा हुआ हर तथ्य हमें अगले तथ्य की ओर ले जाता है। हमारे द्वारा विकसित की गई हर योग्यता किसी दूसरी योग्यता को विकसित करने की इच्छा जगाती है। हम सभी अभिव्यक्ति चाहने वाली जीवन आकांक्षा के अधीन हैं, जो हमें अधिक जानने, करने और बनने के लिए प्रेरित करती है।

