अपनी माँगी हुई सभी चिज़ोंं के बारे में इस तरह सोचें और बोलें, जैसे आप सचमुच उनके मालिक बन चुके हों। अपने परिवेश और आर्थिक स्थिति की ठीक वैसी कल्पना करें, जैसी आप उन्हें चाहते हों। फिर पूरे समय उसी मानसिक परिवेश और आर्थिक स्थिति में रहें, जब तक कि आप उन्हें साकार होता न देख लें।

