पराशक्ति मौन है...वह विखंडित होते परमाणु का आधारभूत रूप है। वही ब्रह्मांड की मूल मौन शक्ति है। ब्रह्मांड इसी की ऊर्जा से बनता, इसी में टिका रहता है और इसी में विलीन हो जाता है। वह आदि-अंत से परे है। अपरिमित और अपरिमेय है, अज्ञात और अज्ञेय है, अद्वितीय है। परा-अपरा है। नित्य है। शाश्वत और सनातन है। तेज-पुंज है। ब्रह्मांड के सहस्रों सूर्यों से अधिक तेजस्वी ! पदार्थ इसी में जन्मता और इसी में विलीन होता है। जो कुछ भूलोक, द्युलोक और अंतरिक्ष लोक में अवस्थित है, वह सब वही है। इससे परे कुछ भी नहीं है। यही है चेतना, ऊर्जा या आदि परमाणु की पराशक्ति ! हमने, हमारी सभ्यता ने इसे ब्रह्म पुकारा है। ब्रह्म
...more