–चलना अपनी जगह है और पहुँचना अपनी जगह...इन दोनों को मिलाते क्यों हो ? अदीब बोला–इसका सबूत हैं यह ठहरी हुई सदियाँ, जो लाखों करोड़ों बरस पहले चली थीं, पर वहीं पहुँची, जहाँ से वे चली थीं...बीच-बीच में उन्हें मज़हब के पड़ाव मिले और उन पड़ावों ने फिर उन्हें उसी बियाबान रेगिस्तान में पहुँचा दिया...