आवाजों और विचारों को मत रोको। उन पर कोई पाबन्दी मत लगाओ...जनमत और जनभावनाएँ खुद इन मनुष्य विरोधी शक्तियों का उत्तर देंगी ! यह जानना जरूरी है कि मज़हबों में एकता नहीं है लेकिन यह जानना उससे भी जरूरी है कि हर मज़हब का इन्सानी सन्देश एक है !...लोकतंत्रवादियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि चाहे जितनी भी नकारात्मक, घातक और मनुष्य विरोधी विचारधारा क्यों न हो, उसे खुली, निर्बाध और स्वतंत्र अभिव्यक्ति मिलनी चाहिए...अभिव्यक्ति की इस आजादी से ही इन निर्मम, विरोधी और घातक विचारधाराओं का स्खलन होगा, इनका शमन होगा, क्योंकि इनके पास अंधी उत्तेजना है, शक्ति नहीं !...