Rajeev Awasthi

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हमें औरंगजे़ब की एक मनोवैज्ञानिक गुत्थी को गहराई से समझना चाहिए...होता यह है कि या तो आस्तिक लोग सहज भाव से मज़हब की ओर जाते हैं या फिर वो लोग मज़हब की तरफ दौड़ते हैं, जो जानते हैं कि मज़हब के लिहाज से हमने पाप किया है। औरंगजे़ब ने हिन्दुस्तान का ताज हासिल करने के लिए जो जघन्य अपराध किए थे, उसकी ग्रंथि ही इसका पाप-बोध बन गया और पाप-बोध की इसकी यही कुंठा थी, जो इसे मज़हब की ओर मोड़ ले गई और यह कठमुल्लाओं का गुलाम बन गया ! श्रीराम शर्मा ने कहा–और यह भारत में हिन्दुओं का दुश्मन बन गया !
कितने पाकिस्तान
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