नफ़रत ही अब आदमी को पहचान देती है...नफ़रत से ही आदमी और उसके जातीय समुदाय पहचाने जाने लगे हैं। नफ़रती एकता के लिए अतीत काम आता है। अतीत का दंश, गौरव और वे स्मृतियाँ जो कसकती, दुःखती और रिसती हैं...इतिहास अपने अतीत को ठीक करने की दृष्टि दे सकता है, पर इतिहास को भी अतीत के अग्निकुंड में झोंक दिया जाता है।