–मैं एक दोस्त और रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूँ कि बेहतर होगा आप अपने बेटे के साथ, अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आएँ ! नईम ने कहा। –आप तो बिल्कुल यज़ीद की तरह पेश आ रहे हैं ! –यज़ीद की तरह...मैं समझा नहीं ! –आप समझ रहे हैं, यह आप क्यों मंजूर करना चाहेंगे ? यज़ीद ने भी हज़रत हुसैन को मदीने से ईराक आने की दावत दी थी और कर्बला के मैदान में उन्हें भूखा प्यासा रख कर आख़िर उनका क़त्ल कर दिया था !...आपका बुलावा यज़ीद का बुलावा है और आपका पाकिस्तान मेरा कर्बला ही बन सकता है...जहाँ आप मुझे हर तरह से भूखा रखकर अपनी हवस का शिकार बना सकते हैं और जिन्दा रहते हुए भी एक ग़ैर-कुदरती मौत मुझे दे सकते हैं
–मैं एक दोस्त और रिश्तेदार की तरह आपको राय देता हूँ कि बेहतर होगा आप अपने बेटे के साथ, अपने नाना के पास पाकिस्तान लौट आएँ ! नईम ने कहा। –आप तो बिल्कुल यज़ीद की तरह पेश आ रहे हैं ! –यज़ीद की तरह...मैं समझा नहीं ! –आप समझ रहे हैं, यह आप क्यों मंजूर करना चाहेंगे ? यज़ीद ने भी हज़रत हुसैन को मदीने से ईराक आने की दावत दी थी और कर्बला के मैदान में उन्हें भूखा प्यासा रख कर आख़िर उनका क़त्ल कर दिया था !...आपका बुलावा यज़ीद का बुलावा है और आपका पाकिस्तान मेरा कर्बला ही बन सकता है...जहाँ आप मुझे हर तरह से भूखा रखकर अपनी हवस का शिकार बना सकते हैं और जिन्दा रहते हुए भी एक ग़ैर-कुदरती मौत मुझे दे सकते हैं !...हज़रत हुसैन तो सिर्फ कर्बला में शहीद हुए थे, पर मुसलमान औरत के लिए तो आप लोगों ने पूरी जिन्दगी ही एक कर्बला बना रखी है ! सलमा के भीतर एक ज़लज़ला उठ रहा था, वह चीख पड़ी–क्या है वो खास चीज़ जो एक मुसलमान मर्द औरत को दे सकता है, जो ग़ैर-मुस्लिम नहीं दे सकता ? –इस्लाम ने औरत के लिए जो दर्जा तजवीज़ किया है वह किसी और मज़हब के पास नहीं है ! जिस्मानी सतह पर तो हर मर्द सिर्फ वही दे सकता है जो कोई भी मर्द औरत को दे सकता है, लेकिन रूहानी और दुनियावी सतह पर एक मुसलमान मर्द औरत को वह सब कुछ दे सकता है जो दुनिया का कोई मज़हब नहीं देता ! नईम बोला–इस्लाम माननेवालों के पास कुरआन पाक है, हदीस है ! –लेकिन वो तो अरबों के पास हैं...उनकी ओरिजनल कापियाँ, जो उन्होंने अब तक किसी को नहीं दीं। फिर तो ‘फिकहा’ ने ही इस्लामी कानून की अलग-अलग पहचान दी। और यह भी आपकी मालूम होगा कि तभी इस्लामी शरीयत के कानूनों की पहचान में फ़र्क़ आया...सुन्नियों के चार स्कूल बने...शियाओं ने तब सुन्नियों से अलग अपने स्कूल फिका-ए-...
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