–दज़ला, फ़रात और डैन्यूब की परा-धरती के समस्त देवताओं ! तुम सब आज चिन्तित हो क्योंकि मनुष्य ने प्रेम तथा मित्रता जैसे नए तत्वों को खोज लिया है, लेकिन तुम्हें किसने रोका था ? तुम सब घोर अहंकारी हो ! तुम यह भूल गए कि मनुष्य ने ही तुम्हें सिरजा है। मनुष्य के बिना तुम्हारी और हम जैसी देवियों की कोई औक़ात या अस्तित्व नहीं है। तुम समस्त देवता लोग प्रेमविहीन और एकांगी व्यक्ति हो। तुम सब स्त्री पर आसक्त होकर उसका शीलभंग कर सकते हो...अवैध सन्तानें पैदा कर सकते हो, क्योंकि तुम अहंमन्य हो। तुम नितान्त व्यक्तिवादी हो। तुम्हारे पास मित्रता का मूल्य नहीं है। तुम एक दूसरे के पूरक नहीं हो। तुम हमेशा एक दूसरे
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