यह लड़ाई धर्म की नहीं, धर्म और धर्मान्धता की है। इस्लाम जैसा धर्म ही खुद अपनी धर्मान्धता से लड़ रहा है ! और शायद दुनिया के हर धर्म को अपनी धर्मान्धता से लड़ना और उसे जीतना पड़ेगा !...आप अपने धर्मान्धतावादी तर्कों से पाकिस्तानों में से और पाकिस्तान बनाएँगे, पर धर्मवादी दुनिया अपने धार्मिक विश्वासों को जीवित रखते हुए एक मनुष्यवादी धर्म के संविधान की परिकल्पना करेगी...यह किसी एक धर्म की दुनिया नहीं होगी, यह बहुधर्मी लोगों की एक धार्मिक दुनिया होगी ! अपने-अपने धर्म की धर्मान्धता से लड़ते रहनेवाले धर्म-परस्त लोगों की दुनिया !