मरने से पहले तो तुम कहा करते थे कि दस बार नहीं, हज़ार बार मरना पड़े तो भी तुम रामजन्म-भूमि के लिए मरोगे...अब क्यों डर रहे हो ? अर्दली ने उसे दुत्कारा। –इसलिए कि अब मैं इंसान हूँ...मुझे अब मौत से बहुत डर लगता है ! –तो जब मरे थे, उस वक्त तुम क्या थे ? –तब मैं हिन्दू था ! –हिन्दू क्या इन्सान नहीं होते ? –होते हैं लेकिन जब नफ़रत का ज़हर मेरी नसों में दौड़ता है तब मैं इंसान का चोला उतार कर हिन्दू बन जाता हूँ ! –ये नफ़रत का ज़हर कहाँ से आया ! –उसी सन सैंतालीस वाली फ़सल से यह ज़हर जन्मा है हुजूर ! जो हिन्दू को ज्यादा बड़ा हिन्दू और मुसलमान को ज्यादा बड़ा मुसलमान बनाता है ! अर्दली बोला।