Rajeev Awasthi

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लेकिन मुश्किल यह है कि राजतंत्र की कोई धर्म संस्था, कोई मज़हबी तहरीक किसी शोक और पश्चाताप को मंजूर नहीं करती...क्योंकि धर्म या मज़हब जिन्दगी की सच्चाइयों से हमेशा सदियों पिछड़ा रहता है ! और यही तमाम बेबुनियाद पाकिस्तानों की बुनियाद बनता है !...
कितने पाकिस्तान
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