Rajeev Awasthi

62%
Flag icon
यह शोषण, अन्याय और विषमता की दुनिया, जो हर पल हज़ारों तरह के दुःख पैदा करती है, यह न तो मनुष्य के सुख को सन्तुलित और हमवार होने देगी और न कभी उसके दुःख को एकात्म होने देगी !...जिस दिन इंसानियत का दुःख एकात्म हो जाएगा, उस दिन पूरी दुनिया के बाशिंदों का ईश्वर भी एक हो जाएगा !...और तब वह ईश्वर शिकायतों की अदालत का अमूर्त निर्णायक नहीं, वह मानवता के सुख का अंतिम केन्द्र बन जाएगा और वह अमूर्तता के दार्शनिक सिद्धान्तों की उलझी सच्चाइयों से मुक्त होकर खुद एक खुशनुमा और मूर्त सच्चाई में तब्दील हो जाएगा ! तब ईश्वर मशवरा देनेवाले बुजुर्ग की तरह हर घर का हिस्सा बन जायेगा।
कितने पाकिस्तान
Rate this book
Clear rating