किताबों में जो इतिहास लिखा या लिखवाया जाता है....और साक्षातकारों में जो दर्ज कराया जाता है....पेशेवर कलम- घिस्सुओं द्वारा जिस तरह तथ्यों के सहारे दस्तावेजी इतिहास बनाया जाता है, वह इतिहास नहीं होता....इतिहास वह होता है जो दिलो-दिमाग़ की तख़्ती पर लिखा जाता है....और उस इबारत को कोई पढ़ न ले, इसलिए उसे फौरन मिटाया जाता है....उस मिटी हुई इबारत को सिर्फ़ वही अदीब पढ़ सकता है जो सुकरात, गौतम बुद्ध, ईसा या गाँधी की भाषा पढ़ सकता है....