मैंने देखा कि हिन्दुस्तान का हर आदमी तौहीद का पैरोकार है…सूफीवाद के तौहीद और वैदिक धर्म के अद्वैतवाद में कहीं कोई फ़र्क नहीं है ! तौहीद का मार्ग समझदारी, समन्वय और दया का है…यह तौहीद ही एकेश्वरवाद का महामार्ग है…लेकिन मैंने खु़रासान के सबसे बड़े सूफी संत अबू सईद फज्लुल्लाह के मुताबिक इस बात को भी मंजूर किया कि ईश्वर एक है, लेकिन उससे एकाकार होने के रास्ते सैकड़ों ही नहीं, लाखों और करोड़ों हैं, क्योंकि एकेश्वरवाद का हर पुजारी किस तरह अपने ईश्वर से एकात्म होना चाहता है, यह उसकी आज़ादी है ! तौहीद है ही यही कि न तो वहाँ अपनेपन का अस्तित्व है और न ईश्वर के अलावा किसी और वस्तु का वजूद…यानी वस्तु और
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