–सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले लोगों का कुछ भी निजी या अपना नहीं होता ! वह लोग हमेशा अवाम की अदालत में हाजिर समझे और माने जाते हैं...उनके व्यक्तिगत विचार अगर उनके सार्वजनिक विचारों से मेल नहीं खाते तो ऐसे लोगों को वह नैतिक अधिकार नहीं है कि वे सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में रहें