Avanindra Kumar

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इच्छाओं को दबाना उचित नहीं, इच्छाओं को तुम उत्पन्न ही न होने दो। यदि एक बार इच्छा उत्पन्न हो गई, तो फिर वह प्रबल रूप धारण कर लेगी।
चित्रलेखा
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