Avanindra Kumar

66%
Flag icon
प्रकृति अपूर्ण है। प्रकृति के अपूर्ण होने के कारण ही मनुष्य ने कृत्रिमता की शरण ली है। दूर्वादल कोमल है, सुन्दर है, पर उसमें नमी है, उसमें कीड़-मकोड़े मिलेंगे। इसीलिए मनुष्य ने मखमल के गद्दे बनवाए हैं जिनमें न नमी है, और से कहीं अधिक कोमल हैं। जाड़े के दिनों में प्रकृति के इन सुन्दर स्थानों चलती है कि शरीर कॉपने लगता है। गरमी के दिनों में दोपहर के समय इतनी कड़ी लू चलती है कि शरीर झुलस जाता है। प्रकृति की इन असुविधाओं से बचने के लिए ही तो मनुष्य ने भवनों का निर्माण किया है। उन भवनों में मनुष्य उत्तरी हवा को रोककर जाड़ों में अँगीठी से इतना ताप उत्पन्न कर सकता है कि उसे जाड़ा न लगे। उन भवनों में ...more
चित्रलेखा
Rate this book
Clear rating