Avanindra Kumar

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पिपासा तृप्त होने की चीज नहीं। आग को पानी की आव२यकता नहीं होती,उसे घृत की आव२यकता होती है, जिससे वह और भड़के। जीवन एक अविकल पिपासा है। उसे तृप्त करना जीवन का अन्त कर देना है।
चित्रलेखा
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