Avanindra Kumar

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सुख तृप्ति और शान्ति अकर्मण्यता, पर जीवन अविकल कर्म है, न बुझनेवाली पिपासा है। जीवन हलचल है, परिवर्तन है; और हलचल तथा परिवर्तन में सुख और शान्ति का कोई स्थान नहीं।”—
चित्रलेखा
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