Nusrat

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कॉमन रूम में पहुँचने पर वैसा ही अनुभव हुआ, जैसा माँ अपने कलेजे को कॉलेज भेजने से पहले का बताती है। जैसा दलदल में फँसी हिरण का घड़ियाल को देखकर होता है। जैसा निहत्थे का लठैत देखकर होता है।
बनारस टॉकीज [Banaras Talkies]
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