Abhishek Sharma

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मैंने कहा, "उन्हें वध के लिए कौन बेचते हैं? वे आपके सधर्मी गोभक्त ही हैं न ?" स्वामीजी ने कहा, "सो तो हैं । पर वे क्या करें? एक तो गाय व्यर्थ खाती है, दूसरे बेचने से पैसे मिल जाते हैं ।"
निठल्ले की डायरी
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