Abhishek Sharma

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"पर स्वामीजी, यह कैसी पूजा है कि गाय हड्डी का ढाँचा लिये हुए मुहल्ले में कागज और कपड़े खाती फिरती है और जगह-जगह पिटती है!" "बच्चा, यह कोई अचरज की बात नहीं है । हमारे यहाँ जिसकी पूजा की जाती है उसकी दुर्दशा कर डालते हैं । यही सच्ची पूजा है । नारी को भी हमने पूज्य माना और उसकी जैसी दुर्दशा की, सो तुम जानते ही हो ?"
निठल्ले की डायरी
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